Written by 9:40 am International Views: 13

व्लादिमीर पुतिन ने रूबल को गिरने से बचाने के लिए चला बड़ा दांव, जानिए पूरा मामला

यूक्रेन और रूस की लड़ाई (Russian Attacks on Ukraine) शुरू हुए एक महीना से ज्यादा समय हो गया है। इस लड़ाई के खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। दोनों देशों में अब तक हुई बातचीत बेनतीजा रही है। इस बीच, रूस की इकोनॉमी (Russian Economy) पर काफी असर पड़ रहा है। इसकी वजह रूस पर अमेरिकी और यूरोपीय देशों के प्रतिबंध हैं।

ऑयल और गैस को छोड़ रूस का निर्यात करीब ठप है। इसका सीधा असर रूस की मुद्रा रूबल पर पड़ रहा है। इसमें बड़ी गिरावट आई है। इसे और गिरने से बचाने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा दांव चला है।

पुतिन ने कहा है कि यूरोपीय देशों को गैस और ऑयल की कीमत सिर्फ रूबल में चुकानी होगी। अब तक यूरोपीय देश रूस से आयातित गैस और ऑयल का पेमेंट डॉलर या यूरो में करते रहे हैं। यूरोपीय देश 40 फीसदी गैस का इंपोर्ट रूस से करते हैं। फ्यूल के मामले में वे रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। पुतिन उनकी इस कमजोरी को जानते हैं। इसलिए उन्होंने 23 मार्च को ही यह फैसला कर लिया था।

यूरोपीय देश पुतिन के फैसले के खिलाफ

 

पुतिन के इस फैसले के बाद क्रूड और गैस की कीमतों में तेजी आई थी। हालांकि, यूरोपीय देशों ने रूस के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। जर्मनी के विदेशी मंत्री क्रिस्टियन लिंडनर ने कहा है कि यूरोपीय देश रूस की किसी ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि रूस से गैस और फ्यूल खरीदने के समझौते में पेमेंट डॉलर और यूरो में लेने की बात कही गई है।

डॉलर के मुकाबले काफी गिर चुका है रूबल

 

डॉलर के मुकाबले रूबल में इस साल की शुरुआत से ही गिरावट आ रही थी। जनवरी में 1 डॉलर का भाव 75 रूबल था। यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले रूबल का भाव गिरकर 85 पर आ गया था। 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद रूबल में तेज गिरावट देखने को मिली थी। दो हफ्ते में इसका भाव गिरकर एक डॉलर के मुकाबले 145 पर आ गया था। हालांकि, अब इसके कुछ रिकवरी आई है।

 

रूबल की मांग में तेज गिरावट

 

रूबल में गिरावट की सबसे बड़ी वजह रूस पर लगा प्रतिबंध है। अमेरिका, यूरोपीय देश और जापान ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे रूस से इन देशों को निर्यात ठप हो गया है। फिलहाल ऑयल और गैस को इस प्रतिबंध के दायरे से बाहर रखा गया है। रूस लग्जरी गुड्स लेकर डिफेंस इक्विपमेंट का नियार्त करता है। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और कनाडा ने रूसी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

स्विफ्ट के इस्तेमाल पर बैन लगने के बाद रूसी बैंकों के इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन पर भी रोक है। इसका सीधा असर रूबल की पड़ा है। रूबल की डिमांड बहुत घट गई है। इससे इसकी वैल्यू गिर रही है। रूस नहीं चाहता कि मौजूदा स्तर से रूबल की वैल्यू नीचे जाए। इसी मकसद को ध्यान में रख उसने नया नियम लागू किया है। फिलहाल, इस नियम से रूबल में थोड़ी रिकवरी देखने को मिली है।

 

पुतिन के फैसले से रूबल में आई है रिकवरी

 

रूस के रूबल में पेमेंट लेने के फैसले से रूबल में थोड़ी रिकवरी आई है। एक डॉलर के मुकाबले रूबल का भाव 85 पर आ गया है। यह 145 के निचले स्तर से काफी ठीक है। इसकी वजह यह है कि यूरोपीय देश अचानक रूस के एनर्जी का आयात बंद नहीं कर सकते। ऐसा करने से उन देशों की इकोनॉमी पर खराब असर पड़ेगा। साथ ही इन देशों के आमलोगों की जिदंगी भी मुश्किल में पड़ जाएगी।

(Visited 13 times, 1 visits today)
Close